【युवा कवि गोलेन्द्र पटेल और आ. वाचस्पति जी (वाराणसी)】
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गोलेन्द्र पटेल (छात्र ,बीएचयू) : खजूरगाँव, साहुपुरी, चंदौली, उत्तर प्रदेश, 221009 दिनांक : 24-01-2022
आदरणीय वाचस्पति जी,
सादर प्रणाम सर! आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! आशा है, आप सपरिवार स्वस्थ व सुरक्षित होंगे और साहित्य-सृजन के संदर्भ में कुछ नया सोच रहे होंगे। मेरे कुछ साहित्यिक साथी आपसे मिलने के लिए अपनी इच्छा जारी किये हैं। यहाँ एक नाम अपनी दीदी लेना चाहता हूँ जो कि बीएचयू की छात्रा रही हैं। नाम है प्रतिभा श्री मौर्य। आप 74 वर्ष की अवस्था में भी सृजन के संसार में सक्रिय हैं। आपकी यह सक्रियता हमारे लिए सदैव प्रेरणा रहेगी। मेरी सृजनात्मकता की शक्ति आप जैसे सहृदय मार्गदर्शकों की उक्ति ही है। जो सदैव मुझे नयी राह पर चलने के लिए प्रेरित करती है और साहस देती है।
काशी में कविता के पाठक व श्रोता हर गली,चौराहे व घाट पर मिलते हैं। मैं बहुत से लोगों से आपके विषय में सुना हूँ और गुरुवर श्रीप्रकाश शुक्ल की कविता 'अथ काशी प्रवेश' (बोली बात, पृ. 114) में भी आपके बारे में पढ़ा हूँ। बहरहाल आज कविता के पाठकों पर बातचीत करते हुए। मुझे कविता के संदर्भ में आपकी आगामी टिप्पणी याद आई। जो कि है कि "हालात की तह तक जाने की कोशिश से कविता बेहतर बन पाती है। जो सामने है उसके देखने-दिखाने मात्र से भी कविता बन जाती है पर बहुत देर तक टिकती नहीं। मामला "दृष्टि-दृष्टिकोण-अन्तर्दृष्टि"का है।"
पिछले सप्ताह से ही मौसम खराब है। मेरे यहाँ रोज रात में बारिश हो रही है। पगडंडियों पर कीचड़ है। गाँव की गलियों में पनारे की गंध है। सरसों फूली है। पहले की सरसों जिन पर की माहों लगे हुए थे। उनके लिए तो बारिश लाभदायक है पर जो गेहूं के खेत भर गए थे,सींचे गए थे। उनके लिए नुकसान ही नुकसान। मनुष्य प्रकृति को दूह रहा है और प्रकृति मनुष्य को। अभी सुबह का दस बजा है। मुझे बीएचयू जाना है।
पिछले दिनों आदरणीय शिव बाबू मिश्र जी से 'धरती' पत्रिका के विषय में मेरी बात हुई है। वे 'धरती' पत्रिका के प्रकाशन में सहयोगी कार्य करना प्रारम्भ किये हैं। जिसके संपादक आदरणीय श्री शैलेन्द्र चौहान जी की संपादकीय दृष्टि पर चर्चा हुई। दोनों लोग क्रमशः 62 व 64 साल के हैं। मिश्र जी थोड़ा संकोची भले ही हैं पर सहृदय मनुष्य हैं। दिलेर इंसान। कुछ न कुछ करते रहते हैं। वे कुछ वरिष्ठ अल्प-प्रचारित साहित्यकारों के अवदान को प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। सर्वश्री धर्मपाल अवस्थी, सेवक वात्सायन, नक्श इलाहबादी और सुपरिचीत दलित साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य पर भी काम किये हैं। 2009 में श्री शैलेन्द्र चौहान जी के रचनाकर्म पर केंद्रित क्रमशः पत्रिका का एक विशेषांक भी संपादित किये हैं। मिश्र जी बातचीत के दौरान बार-बार आपका जिक्र कर रहे। मिश्र जी से बात कर के अच्छा लगा।
मित्रगण गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा की तैयारी में लगे हैं और मैं भी। मैं ठीक हूँ। स्वस्थ हूँ। सर! अपना हाल जरूर लिखिएगा। धन्यवाद!
आपका
गोलेन्द्र पटेल
बहुत सुंदर ई माध्यम द्वारा एक दूसरे का हाल चाल इसी नाते कहा सुनी का दौर जारी है इस मुश्किल समय मे
ReplyDeleteयह एक बढ़िया पहल है
गोलेन्द्र जी को शुभकामनाएं
गोलेंद्र पटेल जी ने एक बहुत महत्वपूर्ण पत्र यह वरिष्ठ साहित्यकार वाचस्पति को संबोधित लिखा है।गोलेंद्रा जी का साहित्य वा कविता में
ReplyDeleteअनुकरणीय पहल!
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