हिंदी जगत में गोलेन्द्र पटेल जी सबसे कम उम्र में अपनी पहचान बनाने वाले युवा रचनाकार हैं। इनको 'गोलेंद्र ज्ञान', 'युवा किसान कवि', 'हिंदी कविता का गोल्डेनबॉय', 'काशी में हिंदी का हीरा', 'वेदना के वैभव', 'आँसू के आशुकवि', 'आर्द्रता की आँच के कवि', 'अग्निधर्मा कवि', 'ऋषि कवि', 'निराशा में निराकरण के कवि', 'दूसरे धूमिल', 'काव्यानुप्रासाधिराज', 'कोरोजयी कवि' एवं 'दिव्यांगसेवी' आदि उपनामों एवं उपाधियों से जाना जाता है। इनका जन्म 5 अगस्त 1999 ई. को उत्तर प्रदेश के चंदौली के खजूरगाँव में हुआ था। इनकी माता का नाम उत्तम देवी है और इनके पिता का नाम नन्दलाल है। इनके पिता मजदूर हैं। गोलेन्द्र पटेल असाधारण प्रतिभाशाली कवि हैं, समय के सजग सर्जक हैं। ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। ये अपने काव्य के बाह्य और आन्तरिक दोनों पक्षों को सँवारने में सदैव सचेष्ट हैं। अर्थात् इनके भावपक्ष और कलापक्ष दोनों ही अतीव पुष्ट हैं। भाव और कला, अनुभूति और अभिव्यक्ति, वस्तु और शिल्प सभी क्षत्रों में गोलेन्द्र जी ने युगांतरकारी परिवर्तन व प्रयोग किए हैं। ये युगद्रष्टा व युगस्रष्टा दोनों ही हैं। इनके काव्य में एक ऐसा नैसर्गिक आकर्षण एवं चमत्कार है कि सहृदय पाठकगण उसमें रसमग्न होकर नयी राह पर आगे बढ़ते हैं। इनकी कविता मन-मस्तिष्क और हृदय को झकझोर देती है। ये काव्य-लेखन को नवीन दिशा और दृष्टि प्रदान करने का भगीरथ प्रयास कर रहे हैं। अपने कवि व्यक्तित्व, साहित्यिक सहजता एवं कृतित्व के आधार पर, गंभीर आलोचना, विचार प्रधान निबंधों और उत्कृष्ट कहानियों की रचना कर गोलेन्द्र जी ने निश्चय ही हिंदी साहित्य में गौरवपूर्ण स्थान पा लिया है। हिंदी साहित्य जगत् में ये एक श्रेष्ठ कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं। हिंदी लंबी कविता के क्षेत्र में गोलेन्द्र पटेल का विशिष्ट स्थान है। इनकी लंबी कविता ‘तुम्हारी संतानें सुखी रहें सदैव’। अब तक की हिंदी की सबसे लंबी कविता है। यह कविता दो खण्डों में विभाजित है लेकिन अंतर्दृष्टि अर्थात् आलोचकीय आँखों से पढ़ने पर अविभाजित है। यह कविता 2020 में लिखी (रची) गयी थी। गोलेन्द्र पटेल काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस कविता के बारे में ये अक्सर कहते हैं कि "तुम्हारी संतानें सुखी रहें सदैव' एक लंबी कविता है। सभ्यता और संस्कृति इसकी देह और आत्मा हैं, मित्रता और मुहब्बत इसकी बुद्धि और प्रज्ञा हैं और अनुभव और अभ्यास इसकी परम अभिव्यक्ति की प्रज्ञात्मा हैं!" इनके काव्य-व्यंग्यों में समाज एवं व्यक्ति की कमजोरियों पर तीखा प्रहार मिलता है। इनके काव्य हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। निस्संदेह गोलेन्द्र जी हिंदी-काव्य-गगन के अप्रतिम तेजोमय मार्तण्ड हैं।
-रश्मि त्रिपाठी