हिंदी साहित्य का ऐतिहासिक सफरनामा वर्ष 2022
हिंदी साहित्य जगत में वर्ष 2022 कई मायनों में यादगार रहेगा।
जैसे साहित्य अकादमी पुरस्कार किसी काव्य संग्रह को मिला ,तो विश्व साहित्य में एनी एर्ना के संस्मरणात्मक , तो गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि को बुकर पुरस्कार, और भी कई मायने में यादगार रहा पर अब तक का ऐतिहासिक सफर ये कहता है की युवा कवि गोलेंद्र पटेल की कविता 'तुम्हारी संतानें सुखी रहें सदैव' हिंदी साहित्य की अब तक की सबसे लंबी कविता है जो तीन खंड में है जो लगभग एक सौ बयासी पृष्ठ की है जो हिंदी साहित्य जगत में एक अमूल्य निधि है जिसे पढ़ा जाना चाहिए।
और मजे की बात है की इस लंबी कविता की सबसे पहले आलोचना एक युवा कवि जो शिक्षक भी है और शोधार्थी भी विनय विश्वा के द्वारा की गई है जो कविता के नए आयाम खोलती हैं
अब देखना यह ज़रूरी है की क्या हिंदी के सचमुच जो सेवा करने वाले हैं क्या इस महत्वपूर्ण कार्य को त्वज्जों देंगे या केवल साहित्य सेवी साहित्य सेवी का नारा भर ही लगाएंगे ,या महंत बने फिरते रहेंगे।
आख़िर कब तक नई पीढ़ी को इंतज़ार करनी पड़ेगी जब यह जगत छोड़ चुके होंगे जैसे मुक्तिबोध,धूमिल आदि महत्वपूर्ण कवि।
2023 में इस प्रश्न के उत्तर का इंतज़ार रहेगा🙏
धन्यवाद!
© विनय विश्वा
01/01/2023