नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स!!!
बुद्धं सरणं गच्छामि!!!
धम्मं सरणं गच्छामि!!!
संघं सरणं गच्छामि!!!
[तस्वीर में बौद्ध भिक्खु भंते बुद्ध ज्योति (थेरो) जी, भंते दीप ज्योति जी]
प्रियदर्शी चक्रवर्ती बौद्ध सम्राट अशोक महान, राष्ट्रपिता ज्योतिबा राव फुले व संविधान निर्माता विश्वरत्न बोधिसत्व बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की संयुक्त जयंती के उपलक्ष्य में “एक शाम महापुरुषों के नाम” कार्यक्रम दिनांक—11 अप्रैल 2025, दिन—शुक्रवार को, समय—शाम 4 बजे से ग्रामसभा ‘खजूरगाँव’ में हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी साहित्यमय, संगीतमय, कलामय समारोह आयोजित किया। इस आयोजन को सफल बनाने में आप सबका योगदान सराहनीय है, आप सभी बधाई के पात्र हैं। कार्यक्रम में देश भर के वक्ताओं, कलाकारों एवं श्रोताओं ने अपनी कीमती वक्त दिया। सभी के प्रति तहेदिल से धन्यवाद!
[तस्वीर में बौद्ध भिक्खु भंते बुद्ध ज्योति (थेरो), भंते बुद्ध दीप जी]
साथियों, तथागत बुद्ध ने अपने जीवन और उपदेशों के माध्यम से मानवता को सत्य और धर्म की राह दिखायी। उनके उपदेशों का मूल आधार "चार आर्य सत्य" और "आष्टांगिक मार्ग" हैं, जिनमें दुःख का अस्तित्व, दुःख के कारण, दुःख का निवारण और दुःख से मुक्ति के मार्ग की बात की गई है। बुद्ध ने जीवन के प्रत्येक पहलू पर गहरी समझ दी, जिससे आज भी बौद्ध धर्म और उनकी शिक्षाएँ लाखों लोगों के जीवन का मार्गदर्शन करती हैं।
[तस्वीर में बौद्ध भिक्खु भंते बुद्ध ज्योति (थेरो) जी]
सम्राट अशोक मौर्य वंश के महान सम्राट थे, जिनका शासनकाल 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक था। उनका जन्म सम्राट बिंदुसार और रानी धर्मा के घर हुआ था। कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) में लाखों लोगों की मृत्यु और विनाश को देखकर उनका हृदय परिवर्तन हुआ। उन्होंने हिंसा और युद्ध की नीति को त्यागकर बौद्ध धर्म को अपनाया और 'प्रियदर्शी' के नाम से प्रसिद्ध हुए। अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कई उपाय किए। उन्होंने अपने साम्राज्य में शिलालेखों के माध्यम से धर्म, अहिंसा और मानवता का संदेश दिया। उनके शासनकाल में तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई, जो शिक्षा के केंद्र बने। उन्होंने 84,000 स्तूपों का निर्माण कराया और अपने परिवार के सदस्य महेंद्र और संघमित्रा को श्रीलंका भेजकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया। अशोक का शासनकाल प्रशासनिक दक्षता, धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक कल्याण के लिए जाना जाता है। उनकी नीतियों और कार्यों ने उन्हें भारतीय इतिहास के महानतम सम्राटों में से एक बना दिया।
[तस्वीर में बौद्ध भिक्खु भंते बुद्ध ज्योति (थेरो) जी, भंते बुद्ध दीप जी]
महात्मा ज्योतिबा फुले एक महान समाज सुधारक, शिक्षाविद और मानवतावादी थे। उन्होंने जातिवाद, छुआछूत और स्त्री-असमानता जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ साहसपूर्वक आवाज उठाई। महात्मा फुले ने समाज के पिछड़े वर्गों, दलितों, महिलाओं और विधवाओं के उत्थान के लिए जीवन भर संघर्ष किया। फुले ने भारत में स्त्री शिक्षा की नींव रखी। उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला। महात्मा फुले का जीवन और कार्य आज भी सामाजिक न्याय, समानता और शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत हैं। वे भारतीय नवजागरण के एक प्रमुख स्तंभ और आधुनिक भारत के सच्चे नायक माने जाते हैं।
बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारत के महान समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और संविधान निर्माता थे। वे भारत के संविधान के प्रमुख निर्माता थे। उन्होंने संविधान में समानता, धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकारों को प्रमुख स्थान दिया। उन्होंने दलितों को समान अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन चलाए और समाज में न्याय, समानता और बंधुत्व की स्थापना का प्रयास किया। उनका नारा "शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो" आज भी प्रेरणादायक है। डॉ. अम्बेडकर ने 1956 में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया और समता पर आधारित समाज का मार्ग प्रशस्त किया। उनका जीवन सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों की लड़ाई का प्रतीक है। वे आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और भारतीय लोकतंत्र के महान स्तंभ माने जाते हैं।
अंत पुनः आप सभी के प्रति हार्दिक आभार! बहुत-बहुत धन्यवाद!
आपका : गोलेन्द्र पटेल (युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक-विचारक : पूर्व शिक्षार्थी, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)
संपर्क सूत्र :-
डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।
पिन कोड : 221009
व्हाट्सएप नं. : 8429249326
ईमेल : corojivi@gmail.com