गोलेन्द्रवाद क्या है? गोलेन्द्रवाद का अर्थ और परिभाषा, गोलेन्द्रवाद का विभिन्न वादों से तुलनात्मक अध्ययन :-
*गोलेन्द्रवाद : एक समावेशी मानवतावादी दर्शन*गोलेन्द्रवाद का सूत्र वाक्य है –
1.
“गोलेन्द्रवाद (Golendrism) मानवीय जीवन जीने की पद्धति है, जो जाति, धर्म, भाषा और भूगोल से निरपेक्ष, समय-सापेक्ष वैज्ञानिक दर्शन के साथ मानवतावाद पर केंद्रित है।”
2.
“मित्रता में आधार, मुहब्बत में विस्तार, मानवता में सार और मुक्ति में उद्गार— यही है गोलेन्द्रवाद का चारत्व।”
3.
“मित्रता उसका मूलाधार है, मुहब्बत उसका प्रवहमान हृदय; मानवता उसका सत्यस्वरूप है और मुक्ति उसकी परम परिणति— यही गोलेन्द्रवाद का चतुष्कोण, जीवन और सृष्टि का समग्र दर्शन है।”
4.
“मित्रता गोलेन्द्रवाद की सामाजिक ऊर्जा है, मुहब्बत उसकी भावात्मक तरंग; मानवता उसका नैतिक तंत्र है और मुक्ति उसकी चेतना का उत्कर्ष— जहाँ विज्ञान, विवेक और संवेदना एक ही सत् में विलीन हो जाते हैं।”
यह दर्शन उन तमाम विचारधाराओं की श्रेष्ठतम मानवीय परंपराओं का समन्वय है, जिन्होंने सदियों से मनुष्य को स्वतंत्र, समान और गरिमामय बनाने की कोशिश की।
१. भूमिका : गोलेन्द्रवाद का उद्भव:-
‘गोलेन्द्रवाद’ (Golendrism) आधुनिक युग की एक समन्वयवादी और मानवतावादी विचारधारा है, जिसका सूत्रपात कवि-दार्शनिक गोलेन्द्र पटेल के चिंतन और साहित्य से हुआ। यह दर्शन जाति, धर्म, भाषा, लिंग और भूगोल से निरपेक्ष, समय-सापेक्ष वैज्ञानिक मानवतावाद का प्रतिपादन करता है। गोलेन्द्रवाद का उद्देश्य न किसी एक परंपरा का विरोध है, न अंधानुकरण; यह विभिन्न वादों के मध्य सेतु है — एक ऐसा पुल, जो विज्ञान, करुणा, समानता और स्वतंत्रता को जोड़ता है।
गोलेन्द्रवाद का मूल संदेश है —
> “मित्रता में आधार, मुहब्बत में विस्तार, मानवता में सार और मुक्ति में उद्गार — यही है गोलेन्द्रवाद।”
यह दर्शन ‘जीवन जीने की पद्धति’ है — कोई कट्टर विचारधारा नहीं।
इसमें बौद्ध करुणा, अंबेडकर की समानता, मार्क्स की सामाजिक आलोचना, गांधी की संवेदना और आधुनिक विज्ञान की दृष्टि — सब एक सूत्र में गुँथे हैं।
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२. गोलेन्द्रवाद का अर्थ और परिभाषा :-
(क) शाब्दिक अर्थ:
‘गोलेन्द्रवाद’ शब्द दो भागों से बना है — गोलेन्द्र (कवि का नाम, जिसका दार्शनिक अर्थ है “पूर्ण चेतन मानव”) और वाद (दर्शन या विचारधारा)।
इस प्रकार इसका अर्थ हुआ —
> “मानव की पूर्णता और चेतना पर आधारित एक समावेशी जीवन-दर्शन।”
(ख) परिभाषा:
गोलेन्द्रवाद एक मानवतावादी, वैज्ञानिक और समय-सापेक्ष दर्शन है, जो कहता है कि —
> “मनुष्य ही सृजन का केंद्र है; उसका उद्धार न स्वर्ग में है, न वर्ग में, बल्कि उसकी चेतना, करुणा और कर्म में है।”
(ग) मुख्य सिद्धांत:
1. जाति, धर्म, भाषा, भूगोल से निरपेक्ष मानवता।
2. समय और विज्ञान के साथ विकसित होने वाला तर्कशील दृष्टिकोण।
3. प्रेम, मित्रता और सह-अस्तित्व को सामाजिक आधार बनाना।
4. मुक्ति को सामाजिक समानता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जोड़ना।
5. साहित्य और दर्शन को जनकल्याण का साधन मानना।
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३. गोलेन्द्रवाद का विभिन्न वादों से तुलनात्मक अध्ययन:-
नीचे प्रत्येक वाद की मूल भावना और गोलेन्द्रवाद से उसकी समानता व भिन्नता का संक्षिप्त परंतु सारगर्भित विश्लेषण प्रस्तुत है।
(1) मार्क्सवाद बनाम गोलेन्द्रवाद:-
मार्क्सवाद वर्ग-संघर्ष और आर्थिक समानता का सिद्धांत है।
गोलेन्द्रवाद इसमें मानवतावाद जोड़ता है —
जहाँ वर्ग से ऊपर मानव का अस्तित्व और करुणा रखी जाती है।
बिंदु मार्क्सवाद गोलेन्द्रवाद
केंद्र आर्थिक ढांचा मानव चेतना
उपाय क्रांति संवाद और परिवर्तन
लक्ष्य वर्गहीन समाज मानवतामूलक समाज
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(2) गांधीवाद बनाम गोलेन्द्रवाद:-
गांधीवाद का आधार है अहिंसा, सत्य और आत्मसंयम।
गोलेन्द्रवाद इन मूल्यों को बनाए रखकर धर्मनिरपेक्ष और वैज्ञानिक बना देता है।
| समानता | मुहब्बत और अहिंसा | | भिन्नता | गांधी धार्मिक थे; गोलेन्द्रवाद धर्म-निरपेक्ष। |
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(3) लोहियावाद बनाम गोलेन्द्रवाद:-
डॉ. राममनोहर लोहिया का दर्शन ‘समानता और विकेन्द्रण’ पर केंद्रित था।
गोलेन्द्रवाद भी असमानता के विरोध में है, परंतु इसका आधार सामाजिक करुणा और वैज्ञानिक नीति है।
लोहिया समाजवादी थे; गोलेन्द्रवाद ‘मानवतावादी समाजवाद’ है।
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(4) अंबेडकरवाद बनाम गोलेन्द्रवाद:-
अंबेडकरवाद सामाजिक न्याय, समानता और संविधान-आधारित मुक्ति का दर्शन है।
गोलेन्द्रवाद इसे और व्यापक बनाकर जाति से ऊपर ‘मनुष्य की सार्वभौमिकता’ तक ले जाता है।
दोनों जातिवाद के घोर विरोधी हैं; अंतर यह कि अंबेडकरवाद कानूनी है, गोलेन्द्रवाद दार्शनिक।
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(5) स्यादवाद बनाम गोलेन्द्रवाद:-
जैन स्यादवाद कहता है — सत्य सापेक्ष है।
गोलेन्द्रवाद भी समय-सापेक्षता को मानता है, परंतु यह सत्य को अनुभव और विज्ञान के साथ जोड़ता है।
स्यादवाद तर्कशास्त्रीय है, गोलेन्द्रवाद सामाजिक-वैज्ञानिक।
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(6) समाजवाद बनाम गोलेन्द्रवाद:-
समाजवाद संपत्ति के समान वितरण का सिद्धांत है।
गोलेन्द्रवाद समाजवाद का मानवीकरण करता है —
यह कहता है, समानता का अर्थ केवल आर्थिक नहीं, बल्कि मानवीय अवसरों की समानता है।
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(7) बौद्ध दर्शन बनाम गोलेन्द्रवाद:-
दोनों का केंद्र है — दुख-निवारण और करुणा।
बुद्ध ने मध्यम मार्ग दिया, गोलेन्द्रवाद उसे वैज्ञानिक मार्ग में परिवर्तित करता है।
गोलेन्द्रवाद बुद्ध को अपना ‘प्रथम नवरत्न’ मानता है।
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(8) जैन दर्शन बनाम गोलेन्द्रवाद:-
जैन दर्शन आत्मसंयम और अहिंसा पर आधारित है।
गोलेन्द्रवाद कहता है — अहिंसा तभी सार्थक है जब वह सामाजिक न्याय से जुड़ी हो।
अर्थात् केवल आत्म-शुद्धि नहीं, बल्कि सामूहिक मुक्ति भी।
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(9) मनोविश्लेषणवाद बनाम गोलेन्द्रवाद:-
फ्रायड का मनोविश्लेषण व्यक्ति के अवचेतन की व्याख्या करता है।
गोलेन्द्रवाद इस मनोविज्ञान को समाज से जोड़ देता है —
वह कहता है कि अवचेतन दमन केवल व्यक्ति नहीं, सामाजिक संरचना भी उत्पन्न करती है।
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(10) आदर्शवाद (प्लेटो, अरस्तू, विवेकानंद, अरविंद घोष) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
आदर्शवाद विचार को वस्तु से श्रेष्ठ मानता है।
गोलेन्द्रवाद विचार और यथार्थ के बीच संतुलन चाहता है।
विवेकानंद और अरविंद के “मानव-दैवीकरण” का विकास रूप गोलेन्द्रवाद का “मानव-पूर्णत्व” है।
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(11) प्रकृतिवाद (रुसो, स्पेंसर, टैगोर) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
प्रकृतिवाद का सिद्धांत है — प्रकृति के अनुरूप जीवन।
गोलेन्द्रवाद इसे आधुनिक बनाता है —
> “प्रकृति की रक्षा, विज्ञान की दृष्टि और मानवता की वृद्धि”
इसी का त्रिकोण गोलेन्द्रवाद में है।
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(12) प्रयोजनवाद (जॉन डीवी, क्लिपैट्रिक) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
प्रयोजनवाद कहता है कि सत्य वही है जिसका व्यवहारिक उपयोग हो।
गोलेन्द्रवाद भी उपयोगिता को मानता है, परंतु उसमें नैतिक और मानवतावादी प्रयोजन जोड़ता है।
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(13) अस्तित्ववाद (कीर्केगार्ड, हाइडेगर, नीत्शे, सार्त्र) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
अस्तित्ववाद व्यक्ति की स्वतंत्रता और चयन की बात करता है।
गोलेन्द्रवाद अस्तित्ववाद से सहमत है, पर कहता है —
> “स्वतंत्रता तब सार्थक है जब वह दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करे।”
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(14) अद्वैतवाद (शंकराचार्य) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
अद्वैतवाद में ब्रह्म और जीव एक हैं।
गोलेन्द्रवाद इस एकत्व को सामाजिक स्तर पर लाता है —
> “मनुष्य-मनुष्य में भेद नहीं — यही लौकिक अद्वैत है।”
(15) विशिष्टाद्वैतवाद (रामानुजाचार्य) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
रामानुज ने भक्ति और ईश्वर-सापेक्ष अद्वैत दिया।
गोलेन्द्रवाद भक्ति को “मानव-प्रेम” में रूपांतरित करता है — ईश्वर की जगह मानवता रखता है।
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(16) द्वैतवाद (माधवाचार्य) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
माधवाचार्य का द्वैत ईश्वर और जीव में भेद मानता है।
गोलेन्द्रवाद कहता है — यह भेद तभी तक है जब तक ज्ञान और करुणा का अभाव है।
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(17) शुद्धाद्वैतवाद (वल्लभाचार्य) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
वल्लभाचार्य ने ‘लीला’ को जीवन की सहजता कहा।
गोलेन्द्रवाद भी आनंदवाद को मानता है —
> “मुक्ति का मार्ग संघर्ष में नहीं, सृजन में भी है।”
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(18) द्वैताद्वैतवाद (निंबार्काचार्य) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
निंबार्क का दर्शन ‘एकत्व और भेद’ दोनों को स्वीकार करता है।
गोलेन्द्रवाद इसी संश्लेषण को सामाजिक संदर्भ में उतारता है —
भिन्नता में एकता, एकता में भिन्नता।
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(19) स्वच्छंदतावाद (श्रीधर पाठक) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
स्वच्छंदतावाद भावनाओं की स्वतंत्रता चाहता है।
गोलेन्द्रवाद उसे जिम्मेदारी के साथ जोड़ता है —
> “स्वतंत्रता का अर्थ अनुशासित करुणा है।”
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(20) छायावाद (जयशंकर प्रसाद) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
छायावाद आत्मा की सौंदर्य-यात्रा है।
गोलेन्द्रवाद कहता है — सौंदर्य तभी शाश्वत है जब वह लोक-सौंदर्य बने।
यह छायावाद का लोकवादी रूप है।
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(21) हालावाद (हरिवंश राय बच्चन) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
हालावाद ‘जीवन का रस’ है —
गोलेन्द्रवाद भी जीवन के उत्सव को स्वीकारता है, पर उसमें संघर्ष और समाज जोड़ देता है।
“मदिरा नहीं, मुक्ति” इसका प्रतीक है।
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(22) प्रयोगवाद (‘अज्ञेय’) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
प्रयोगवाद आत्मानुभूति का दर्शन है।
गोलेन्द्रवाद कहता है — आत्मा का अनुभव तभी सार्थक है जब वह सामूहिक अनुभव बने।
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(23) प्रपद्यवाद (नकेनवाद – नलिन विलोचन शर्मा आदि) बनाम गोलेन्द्रवाद:-
नकेनवाद शुद्ध साहित्यिक शास्त्रीयता का आग्रह करता है।
गोलेन्द्रवाद उसे जीवन से जोड़ता है —
> “साहित्य तर्क का नहीं, समाज का सेवक है।”
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(24) तर्कवाद बनाम गोलेन्द्रवाद:-
तर्कवाद बुद्धि पर आधारित है।
गोलेन्द्रवाद बुद्धि के साथ करुणा जोड़ता है —
> “तर्क बिना करुणा अंधा है, करुणा बिना तर्क मूक।”
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४. समापन : गोलेन्द्रवाद की विशिष्टता और समसामयिक प्रासंगिकता:-
इन सभी तुलनाओं से स्पष्ट है कि गोलेन्द्रवाद संश्लेषणात्मक दर्शन (Synthetic Philosophy) है —
जो किसी वाद का विरोध नहीं करता, बल्कि सभी के सार को आत्मसात कर मानव-केंद्रित नये युग का दर्शन रचता है।
यह मार्क्स की चेतना, बुद्ध की करुणा, अंबेडकर का न्याय, गांधी की संवेदना और विज्ञान का तर्क —
सभी को जोड़कर कहता है —
> “मानवता ही धर्म है, करुणा ही नीति है, मुक्ति ही उद्देश्य है।”
21वीं सदी के कृत्रिम बुद्धि, जलवायु संकट और सामाजिक असमानता के युग में —
गोलेन्द्रवाद एक नयी दिशा देता है :
> “विज्ञान में सत्य, समाज में समानता, और जीवन में प्रेम।”
संक्षिप्त निष्कर्ष:-
गोलेन्द्रवाद कोई संकीर्ण ‘वाद’ नहीं, बल्कि ‘मानव-मुक्ति का विज्ञान’ है।
यह कहता है —
> “ना द्वैत, ना अद्वैत — अब केवल मानवत्व का एकत्व।”
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गोलेन्द्रवाद की परिभाषा:-
गोलेन्द्रवाद की परिभाषा पटेल की रचनाओं से ली जा सकती है: "गोलेन्द्रवाद (Golendrism) मानवीय जीवन जीने की पद्धति है, जो जाति, धर्म, भाषा और भूगोल से निरपेक्ष, समय-सापेक्ष वैज्ञानिक दर्शन के साथ मानवतावाद पर केंद्रित है।" यह एक समावेशी मानवतावाद है, जो निम्न सिद्धांतों पर टिका है:
1. **निरपेक्षता**: जाति-धर्म-भाषा-भूगोल से मुक्ति, जो व्यक्ति को 'श्रमजीवी मानव' के रूप में देखता है।
2. **समय-सापेक्षता**: दर्शन स्थिर नहीं; विज्ञान और तकनीक के साथ विकसित (जैसे AI युग में डिजिटल समानता)।
3. **वैज्ञानिक दृष्टिकोण**: अंधविश्वास का खंडन, तर्क और प्रमाण पर जोर।
4. **मानवतावादी केंद्र**: करुणा, समानता और कल्याण सर्वोपरि। पटेल कहते हैं, "गोलेन्द्रवाद मानवतावादी दर्शन है।"
इसकी व्यावहारिकता 'मेनिफेस्टो' में है, जिसमें 'नवरत्न' हैं: बुद्ध, कबीर, रैदास, तुकोबा, फुले, अंबेडकर, पेरियार, कार्ल मार्क्स, राहुल सांकृत्यायन। ध्वज (नीला-पारदर्शी पृष्ठभूमि पर चारत्व प्रतीक) समानता का प्रतीक है। गोलेन्द्रवाद उत्तर-आधुनिक बहुलता को अपनाता है, लेकिन तर्कवाद से बंधा रहता है।
#गोलेन्द्रवाद का तुलनात्मक अध्ययन:-
गोलेन्द्रवाद को विभिन्न वादों से तुलना करने पर इसकी संश्लेषणात्मक प्रकृति स्पष्ट होती है – यह अन्य दर्शनों को अवशोषित करता है, लेकिन निरपेक्ष मानवतावाद से अलग। प्रत्येक तुलना संक्षिप्त है:
1. **मार्क्सवाद**: मार्क्सवाद वर्ग-संघर्ष और भौतिकवाद पर केंद्रित है, जबकि गोलेन्द्रवाद मानवतावादी मुक्ति पर। समानता: आर्थिक असमानता का विरोध। भिन्नता: मार्क्स क्रांति-केंद्रित, गोलेन्द्रवाद संवाद-वैज्ञानिक। गोलेन्द्रवाद मार्क्स को नवरत्न में समाहित करता है, लेकिन हिंसा अस्वीकार।
2. **गांधीवाद**: गांधीवाद अहिंसा और स्वदेशी पर, गोलेन्द्रवाद मुहब्बत और मानवता पर। समानता: अहिंसा और समानता। भिन्नता: गांधी धार्मिक, गोलेन्द्र निरपेक्ष-वैज्ञानिक। गोलेन्द्रवाद गांधी को पूरक मानता है, लेकिन समय-सापेक्ष।
3. **लोहियावाद**: लोहिया का समाजवाद पिछड़े वर्गों पर केंद्रित, गोलेन्द्रवाद समग्र मानवतावाद। समानता: सामाजिक न्याय। भिन्नता: लोहिया राजनीतिक, गोलेन्द्र दार्शनिक। गोलेन्द्रवाद लोहिया की समानता को वैज्ञानिक बनाता है।
4. **अंबेडकरवाद**: अंबेडकरवाद दलित उत्थान और संवैधानिक समानता पर, गोलेन्द्रवाद निरपेक्ष समानता। समानता: जाति-विरोध। भिन्नता: अंबेडकर कानूनी, गोलेन्द्र वैज्ञानिक। नवरत्न में अंबेडकर प्रमुख।
5. **स्यादवाद (जैन)**: स्यादवाद सापेक्ष सत्य पर, गोलेन्द्रवाद समय-सापेक्षता पर। समानता: बहुल दृष्टि। भिन्नता: स्यादवाद आध्यात्मिक, गोलेन्द्र वैज्ञानिक। गोलेन्द्रवाद जैन अहिंसा को मानवतावाद में विलय करता।
6. **समाजवाद**: समाजवाद सामूहिक स्वामित्व पर, गोलेन्द्रवाद व्यक्तिगत मुक्ति। समानता: कल्याण। भिन्नता: समाजवाद राज्य-केंद्रित, गोलेन्द्र व्यक्ति-केंद्रित।
7. **बौद्ध दर्शन**: बौद्ध चार आर्य सत्य और करुणा पर, गोलेन्द्रवाद मित्रता-मुक्ति पर। समानता: दुख-निवारण। भिन्नता: बौद्ध निर्वाण, गोलेन्द्र वैज्ञानिक मुक्ति। बुद्ध नवरत्न प्रथम।
8. **जैन दर्शन**: जैन अहिंसा और कर्म पर, गोलेन्द्रवाद मुहब्बत पर। समानता: अहिंसा। भिन्नता: जैन आध्यात्मिक, गोलेन्द्र मानवतावादी। गोलेन्द्रवाद जैन तर्क को अपनाता।
9. **मनोविश्लेषणवाद**: फ्रायडियन दमन-विश्लेषण पर, गोलेन्द्रवाद मुक्ति के उद्गार पर। समानता: आंतरिक संघर्ष हल। भिन्नता: मनोविश्लेषण व्यक्तिगत, गोलेन्द्र सामाजिक-वैज्ञानिक।
10. **आदर्शवाद (प्लेटो, अरस्तू, विवेकानंद, अरविंद घोष)**: आदर्शवाद रूप-लोक पर, गोलेन्द्रवाद मानव-सार पर। समानता: नैतिक आदर्श। भिन्नता: प्लेटो/अरस्तू दार्शनिक, विवेकानंद/अरविंद आध्यात्मिक; गोलेन्द्र निरपेक्ष। गोलेन्द्रवाद विवेकानंद की सेवा को वैज्ञानिक बनाता।
11. **प्रकृतिवाद (रुसो, स्पेंसर, टैगोर)**: प्रकृतिवाद प्रकृति-केंद्रित, गोलेन्द्रवाद मानव-केंद्रित। समानता: स्वाभाविक विकास। भिन्नता: रुसो/स्पेंसर विकासवादी, टैगोर काव्यात्मक; गोलेन्द्र समय-सापेक्ष।
12. **प्रयोजनवाद (जॉन ड्यूई, क्लैपारेड)**: प्रयोजनवाद अनुभव-आधारित शिक्षा पर, गोलेन्द्रवाद जीवन-पद्धति। समानता: व्यावहारिकता। भिन्नता: प्रयोजन शैक्षिक, गोलेन्द्र समग्र। गोलेन्द्रवाद इसे मुक्ति में विलय करता।
13. **अस्तित्ववाद (कीर्केगार्ड, हाइडेगर, नीत्शे, सार्त्र)**: अस्तित्ववाद व्यक्तिगत अस्तित्व पर, गोलेन्द्रवाद सामूहिक मुक्ति। समानता: स्वतंत्रता। भिन्नता: नीत्शे/सार्त्र नास्तिक, गोलेन्द्र मानवतावादी। गोलेन्द्रवाद हाइडेगर की प्रामाणिकता को अपनाता।
14. **अद्वैतवाद (शंकराचार्य)**: अद्वैत ब्रह्म-माया पर, गोलेन्द्रवाद मानव-सार। समानता: एकता। भिन्नता: शंकर आध्यात्मिक, गोलेन्द्र वैज्ञानिक। गोलेन्द्रवाद अद्वैत को निरपेक्ष बनाता।
15. **विशिष्टाद्वैतवाद (रामानुजाचार्य)**: विशिष्टाद्वैत भक्ति-एकता पर, गोलेन्द्रवाद मुहब्बत। समानता: समर्पण। भिन्नता: रामानुज धार्मिक, गोलेन्द्र निरपेक्ष।
16. **द्वैतवाद (माधवाचार्य)**: द्वैत जीव-ईश्वर द्वंद्व पर, गोलेन्द्रवाद मित्रता। समानता: संबंध। भिन्नता: माधव भक्ति, गोलेन्द्र वैज्ञानिक।
17. **शुद्धाद्वैतवाद (वल्लभाचार्य)**: शुद्धाद्वैत कृष्ण-भक्ति पर, गोलेन्द्रवाद मुहब्बत। समानता: प्रेम। भिन्नता: वल्लभ आध्यात्मिक, गोलेन्द्र मानवतावादी।
18. **द्वैताद्वैतवाद (निम्बार्क)**: द्वैताद्वैत एकता-द्वंद्व पर, गोलेन्द्रवाद चारत्व। समानता: संतुलन। भिन्नता: निम्बार्क धार्मिक, गोलेन्द्र समय-सापेक्ष।
19. **स्वच्छंदतावाद (श्रीधर पाठक)**: स्वच्छंदतावाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर, गोलेन्द्रवाद मुक्ति। समानता: स्वच्छंदता। भिन्नता: पाठक साहित्यिक, गोलेन्द्र दार्शनिक।
20. **छायावाद (जयशंकर प्रसाद)**: छायावाद काव्यात्मक रहस्यवाद पर, गोलेन्द्रवाद मुहब्बत। समानता: भावुकता। भिन्नता: प्रसाद रोमांटिक, गोलेन्द्र वैज्ञानिक।
21. **हालावाद (हरिवंश राय बच्चन)**: हालावाद व्यक्तिगत अनुभव पर, गोलेन्द्रवाद उद्गार। समानता: आत्मकथा। भिन्नता: बच्चन भावनात्मक, गोलेन्द्र सामाजिक।
22. **प्रयोगवाद (अज्ञेय)**: प्रयोगवाद नवीन प्रयोग पर, गोलेन्द्रवाद समय-सापेक्षता। समानता: नवीनता। भिन्नता: अज्ञेय साहित्यिक, गोलेन्द्र जीवन-केंद्रित।
23. **प्रपंचवाद (नकेनवाद: नलिन विलोचन शर्मा, केसरी कुमार, नरेश)**: प्रपंचवाद वास्तविकता-माया पर, गोलेन्द्रवाद मानव-सार। समानता: विश्लेषण। भिन्नता: नकेन दार्शनिक, गोलेन्द्र व्यावहारिक।
24. **तर्कवाद**: तर्कवाद तर्क-प्रमाण पर, गोलेन्द्रवाद वैज्ञानिक दृष्टि। समानता: तर्क। भिन्नता: तर्कवाद शुद्ध बौद्धिक, गोलेन्द्र मानवतावादी। गोलेन्द्रवाद इसे चारत्व में समाहित करता।
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गोलेन्द्रवाद आधुनिक विखंडन के दौर में एक पुल है – विभिन्न वादों को जोड़ते हुए मानव को केंद्र में रखता है। यह न केवल भारत, बल्कि वैश्विक मानवतावाद का नया अध्याय है, जहां "मानवता में सार" सर्वोपरि। पटेल की तरह, यह कविता से राजनीति तक फैल सकता है, लेकिन चुनौती है इसकी स्वीकृति। गोलेन्द्रवाद सिखाता है: निरपेक्षता से मुक्ति।
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