Sunday, September 12, 2021

स्वतंत्र भारत में हिंदी प्रयोग-अनुप्रयोग की अनिवार्यता

 श्यामलाल महाविद्यालय (सांध्य) के हिंदी विभा़ग में “स्वतंत्र भारत में हिंदी प्रयोग-अनुप्रयोग की अनिवार्यता” विषय पर व्याख्यान 

                    {साभार : नीरज कुमार मिश्र}

दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल महाविद्यालय (सांध्य) के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित

विभागीय विशेष व्याख्यान श्रृंखला की चौथी कड़ी में अतिथि व्याख्यान के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर पूरन चंद टंडन को आमंत्रित किया गया।इस आयोजन में स्वागत वक्तव्य देते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार ने हिंदी भाषा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी भाषा हमारे देश की संस्कृति व इतिहास का प्रतीक है। उन्होंने गांधीजी के उद्धरण के माध्यम से कहा कि जिस देश की अपनी भाषा नहीं है वह देश गूंगा है।इस अतिथि व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रोफेसर पूरन चंद टंडन ने कहा कि भाषा व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान है।भाषा संस्कृति की वाहिका होती है। हमारे देश में अनेक संस्कृति हैं।उन्होंने हिंदी भाषा की उन्नति के प्रसंग में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज भी हम अपनी भाषाई संस्कृति का अंग्रेजी के कारण क्यों नुकसान कर रहे हैं, यह चिंता का विषय है ।


हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ. अमित सिंह ने औपचारिक धन्यवाद देते हुए कहा कि आज के हमारे अतिथि मुख्य वक्ता ने हम सभी को विशिष्ट ज्ञान यात्रा कराई।इस ज्ञान यात्रा के दौरान उन्होंने मातृभाषा, राष्ट्रीय भाव, सांस्कृतिक गौरव, साहित्य के इतिहास की परंपरा के प्रसंग में अपने विचार रखते हुए हमें हिंदी-प्रेम के प्रति प्रेरित किया है। इस आयोजन का संचालन हिंदी विभाग के साहित्यिक मंच ‘सृजन’ के परामर्शदाता डॉ. रामरूप मीना ने किया। इस आयोजन में  महाविद्यालय के आइक्यूएसी के को ऑर्डिनेटर डॉ. कुमार प्रशांत के साथ अन्य विभागों एवं हिंदी विभाग के सभी प्राध्यापकों और छात्रों की गरिमामय उपस्थिति रही।

                                                             {संपादक : गोलेन्द्र पटेल}

नाम : गोलेन्द्र पटेल

{युवा कवि व लेखक : साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक}

व्हाट्सएप नं. : 8429249326

ईमेल : corojivi@gmail.com

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