विनय विश्वा का पत्र आज के हमारे महत्वपूर्ण हस्ताक्षर युवा कवि गोलेंद्र को।
हमारे प्रिय हस्ताक्षर गोलेंद्र
नमस्कार,
मुझे विश्वास है कि आप अपने कर्म में रत होंगे, घर-परिवार में भी सकुशल होंगे सभी।
मैं बहुत पहले से ही आपकी कविताओं को देखता-पढ़ता रहा हूँ ,जब आप कोरोजीवी नहीं बने थे तब से एक अलग प्रकार की कविता अभी तक सबसे हटके जो मुझे बरबस न चाहते हुए भी अपनी तरफ खिंच लेती थी,शुरू में तो लगा ये क्या गद्य भरी बकवास है पर उसके गहराइयों में उतरने पर अजीब महशूस हुआ, मैं तभी से आपके फेसबुक के माध्यम से जुड़ा हुआ था औऱ कुछ-कुछ प्रतिक्रिया देते रहता था, और मैं लिखा था एक बड़ा दूर-द्रष्टा कवि का जन्म हुआ है यह मैं बड़ाई नहीं और ना ही चापलुसियत में लिखा बल्कि मुझे ऐसा लगा और महशूस हुआ था।
अब तो आपसे और करीब होने का मौका मिल रहा है यह हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है, मेरा हृदय तो आपको अपना काव्य-गुरु मानने लगा है, मेरे लिए उम्र का कोई तकाजा नहीं है बस कुछ करना और सीखना मायने रखता है कुछ संसार को देना मायने रखता हैं
इन्हीं शब्दों के साथ आपको सस्नेह,
साहित्य के धूमकेतु को पुनः नमस्कार।
भाषा में गवईं की सभा करते हैं
सूक्ष्म से स्थूल तक
का सफर तय करते हैं
इस सफर में
कई उतार-चढ़ाव
अनायास ही दिख जायेगी
कई थकान मिट जायेगी
जब मिट्टी
माटी की पोथी में
सना जाएगी
तब इस गोला में
एक धूमकेतु चमकेगा
वह कोई और नहीं
कविता की अगली पंक्ति में खड़ा
मुरेठा बाँधे
अपनी थाती को बचाये
किसान कवि होगा
अपने शब्दों में
कटारी कवि होगा
सृजनहारी कवि होगा।
© विनय विश्वा
हमारे अपने समय के सशक्त प्रिय कवि अनुज गोलेन्द्र के लिए अनायास ये पंक्तियां फुट पड़ी हैं
पता- विनय विश्वा
शिक्षक,
(महाबल भृगुनाथ कोरीगांवा बहेरा)
जन्म भूमी- मोहनिया, जिला-कैमूर(भभुआ),राज्य-बिहार, भारत
पिन-821109
अभी वर्तमान में मेरा रहन-सहन
भभुआ में हो गया हैं
यहीं से विदयालय आना- जाना हो रहा है।
विश्वकर्मा भवन
प्रोफेसर कालोनी, भभुआ
वार्ड -04
जिला- कैमूर, बिहार, भारत
पिन-821101