Wednesday, March 9, 2022

गोलेन्द्र पटेल को विनय विश्वा का पत्र

(कवि व समीक्षक : विनय विश्वा)

 विनय विश्वा का पत्र आज के हमारे महत्वपूर्ण हस्ताक्षर युवा कवि गोलेंद्र को।

(कवि व दिव्यांग सेवी : गोलेन्द्र पटेल)

   हमारे प्रिय हस्ताक्षर गोलेंद्र

              नमस्कार,

मुझे विश्वास है कि आप अपने कर्म में रत होंगे, घर-परिवार में भी सकुशल होंगे सभी।

     मैं बहुत पहले से ही आपकी कविताओं को देखता-पढ़ता रहा हूँ ,जब आप कोरोजीवी नहीं बने थे तब से एक अलग प्रकार की कविता अभी तक सबसे हटके जो मुझे बरबस न चाहते हुए भी अपनी तरफ खिंच लेती थी,शुरू में तो लगा ये क्या गद्य भरी बकवास है पर उसके गहराइयों में उतरने पर  अजीब महशूस हुआ, मैं तभी से आपके फेसबुक के माध्यम से जुड़ा हुआ था औऱ कुछ-कुछ प्रतिक्रिया देते रहता था, और मैं लिखा था एक बड़ा दूर-द्रष्टा कवि का जन्म हुआ है यह मैं बड़ाई नहीं और ना ही चापलुसियत में लिखा बल्कि मुझे ऐसा लगा और महशूस हुआ था।

     अब तो आपसे और करीब होने का मौका मिल रहा है यह हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है, मेरा हृदय तो आपको अपना काव्य-गुरु मानने लगा है, मेरे लिए उम्र का कोई तकाजा नहीं है बस कुछ करना और सीखना मायने रखता है कुछ संसार को देना मायने रखता हैं

       इन्हीं शब्दों के साथ आपको सस्नेह,

   साहित्य के धूमकेतु को पुनः नमस्कार।


भाषा में गवईं की सभा करते हैं

    सूक्ष्म से स्थूल तक

का सफर तय करते हैं

    इस सफर में

कई उतार-चढ़ाव

  अनायास ही दिख जायेगी

कई थकान मिट जायेगी

   जब मिट्टी

माटी की पोथी में

 सना जाएगी

   तब इस गोला में

एक धूमकेतु चमकेगा

    वह कोई और नहीं

  कविता की अगली पंक्ति में खड़ा

       मुरेठा बाँधे 

 अपनी थाती को बचाये

   किसान कवि होगा

     अपने शब्दों में

 कटारी कवि होगा

   सृजनहारी कवि होगा।

                  © विनय विश्वा

हमारे अपने समय के सशक्त प्रिय कवि अनुज गोलेन्द्र के लिए अनायास ये पंक्तियां फुट पड़ी हैं


      पता-    विनय विश्वा

             शिक्षक,

   (महाबल भृगुनाथ कोरीगांवा बहेरा)

 जन्म भूमी- मोहनिया, जिला-कैमूर(भभुआ),राज्य-बिहार, भारत

   पिन-821109

अभी वर्तमान में मेरा रहन-सहन

    भभुआ में हो गया हैं

यहीं से विदयालय आना- जाना हो रहा है।

        विश्वकर्मा भवन

  प्रोफेसर कालोनी, भभुआ

  वार्ड -04

जिला- कैमूर, बिहार, भारत

  पिन-821101


Tuesday, March 8, 2022

गोलेन्द्र पटेल को सुरेंद्र प्रजापति का पत्र

 



(कवि व कथाकार : सुरेंद्र प्रजापति)

प्रिय अनुज गोलेन्द्र ज़ी,

                         शुभ आशीष

            आशा है आप सपरिवार स्वस्थ होंगें। आप इतने सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों के समूह में मेरी रचनाओं को स्थान दिए, इसके लिए हृदय से आभार। चुंकि मै या मेरी रचनाएँ इतना भी महत्वपूर्ण नहीं है, कि कोई तवज्जो दिया जाए, अपितु आप जिस विश्वास और सहृदयता के साथ एक रचना या रचनाकर को आदर देते हैं, वास्तव में वह प्रसंशनीय और संग्रहनीय हैं। अलबता यही गुण आपको वर्तमान में बड़े से बड़े प्रतिष्ठित रचनाकारों से अलग रखता हैं और भावी कल के लिए एक उर्वर और समृद्ध भूमिका का निर्माण करता हैं। क्या लिखूँ। कोई शब्द नहीं मेरे पास शिवाय स्नेह के! आपकी साहित्यिक यात्रा मंगलमय हो 🙏
(कवि व दिव्यांग सेवी : गोलेन्द्र पटेल)

स्नेह और विश्वास के 

केंद्र में हैं कविता

इंसानियत चहक रहा है

निर्माण बहक रहा है

जो रीता, जो बीता

प्रकाशित कर रहा है सविता


सागर का काम है संग्रह करना

गंभीरता का, जाने क्या- क्या?

सृष्टि के निर्माण कर्ता, ब्रम्ह!

बतला रहे हैं, कि-

गौरव संस्कृतिओ के अध्येता महेंद्र

गगनचुम्बी चोटियों से कर रहा संवाद

और कविताओं में सहेज, संभारकर

समीक्षा कर रहे हैं कवि गोलेन्द्र


सरल हैं, सहज हैं

समर्पण में विश्वास हैं

सोई हुई पगड़ंडियो पर

शब्द के आकाश हैं

©सुरेंद्र प्रजापति

पता:

घर-असनी, पोस्ट-बलिया

थाना-गुरारू, जिला-गया, बिहार

पिन न. 824205



गोलेन्द्रवाद क्या है? (What is Golendrism?)

  What is Golendrism? गोलेन्द्रवाद क्या है? Golendrism (गोलेन्द्रवाद) मानवतावादी दर्शन है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। यह मानवीय चे...