Golendrism (गोलेन्द्रवाद) मानवतावादी दर्शन है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। यह मानवीय चेतना को जागृत करता है।
परिभाषा (Definition) :-
सारांश:- Golendrism (गोलेन्द्रवाद) मानवतावादी दर्शन है। जिसके अंतर्गत बुद्ध दर्शन, साम्यवाद, समाजवाद, किसानवाद, प्रकृतिवाद, राष्ट्रवाद, गाँधीवाद, अंबेडकरवाद, मार्क्सवाद, मनोविश्लेषणवाद, अस्तित्ववाद, उत्तर-आधुनिकतावाद, तर्कवाद, विज्ञानवाद, दलित विमर्श, स्त्री विमर्श, आदिवासी विमर्श और अल्पसंख्यक विमर्श के महत्त्वपूर्ण मानवीय तत्वों को रखा गया है। जो गोलेन्द्रवादी हैं, वे जाति, धर्म, भाषा और भूगोल निरपेक्ष हैं, क्योंकि गोलेन्द्रवाद मनुष्य को जाति संस्कार, धर्म संस्कार, भाषा संस्कार और भूगोल संस्कार से मुक्त करता है। यह उन्हें मानवीय दृष्टि प्रदान करता है।
प्रस्तावना:- गोलेन्द्रवाद एक मानवतावादी दर्शन है, जिसके जनक बहुजन कवि गोलेन्द्र पटेल हैं। यह विचारधारा सामाजिक न्याय, समता, समानता, स्वतंत्रता, वैश्विक बंधुत्व, दलितों, वंचितों, शोषितों, उपेक्षितों, उत्पीड़ितों, किसानों , मजदूरों और दबे-कुचलों के अधिकारों पर केंद्रित है और ग्रामीण जीवन के संघर्षों को संबोधित करती है। गोलेन्द्र पटेल, एक भारतीय कवि, लेखक, विचारक और सामाजिक सुधारक हैं, उन्होंने इस दर्शन को अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से विकसित और प्रसारित कर रहे हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के चंदौली में हुआ और वे मुख्य रूप से हिंदी भाषा में लिखते हैं। उनकी कविताएँ कबीर की शैली से प्रेरित हैं, जिसमें सादगी और गहराई के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता और सुधार पर जोर दिया गया है। इसी कारण उन्हें "हिंदी का दूसरा कबीर" भी कहा जाता है।
गोलेन्द्रवाद में बुद्ध दर्शन, साम्यवाद, समाजवाद, किसानवाद, प्रकृतिवाद, राष्ट्रवाद, गाँधीवाद, अंबेडकरवाद, मार्क्सवाद, मनोविश्लेषणवाद, अस्तित्ववाद, उत्तर-आधुनिकतावाद, तर्कवाद, विज्ञानवाद, दलित विमर्श, स्त्री विमर्श, आदिवासी विमर्श और अल्पसंख्यक विमर्श जैसे तत्वों का समावेश है। यह विचारधारा शोषित वर्गों के उत्थान, उनके आत्मसम्मान को बढ़ाने और सामाजिक असमानता, शोषण एवं अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर बल देती है। गोलेन्द्र पटेल का मानना है कि सच्ची प्रगति तभी संभव है जब समाज के सबसे निचले तबके को भी न्याय और सम्मान प्राप्त हो। उनकी रचनाएँ ग्रामीण भारत के मेहनतकश लोगों की पीड़ा, कठिनाइयों और उनके अधिकारों को उजागर करती हैं, जो आम जनता तक आसानी से पहुँचती हैं।
गोलेन्द्रवादी कवि के रूप में गोलेन्द्र पटेल को जाना जाता है। प्रकृतिवाद का प्रभाव गोलेन्द्रवाद में स्पष्ट है, जो मानव और प्रकृति के बीच संतुलित संबंध को महत्व देता है। यह दर्शन विभिन्न विचारधाराओं को एकीकृत करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो आज के समय में सामाजिक न्याय और समानता के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक है। गोलेन्द्र पटेल ने न केवल साहित्यिक योगदान दे रहे हैं, बल्कि अपनी कविताओं और विचारों के माध्यम से सामाजिक बदलाव की दिशा में भी प्रयासरत हैं।
गोलेन्द्रवाद को एक समग्र दर्शन के रूप में देखा जा रहा है। जनपक्षधर्मी कवि गोलेन्द्र पटेल, जिन्हें गोलेन्द्रवाद के जनक के रूप में जाना जाता है, वे तथागत बुद्ध, महावीर स्वामी, संत रैदास, संत कबीर, संत तुकाराम, महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, संत गाडगे महाराज, बाबा साहब अंबेडकर, ई०वी० रामास्वामी पेरियार, ललई सिंह यादव, मान्यवर कांशीराम, बिरसा मुंडा, बसवन्ना, सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख, रमाबाई अंबेडकर, सुकरात, प्लेटो, अरस्तू, कार्ल मार्क्स, फ़्रेडरिक एंगेल्स, लेनिन, नीत्शे, माओ त्से तुंग, डार्विन, कापरनिकस, अल्बर्ट आइंस्टीन इत्यादि बहुजन शुभचिंतकों से प्रभावित रचनाकार हैं। वे मनुवाद, ब्राह्मणवाद, जातिवाद, सामंतवाद, पाखंडवाद, रूढ़िवाद के ख़िलाफ़ रहने वाले साहित्यकार हैं।
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