Thursday, February 9, 2023

प्रेरणा-अंशु, 36-वर्ष, अंक-10 , फरवरी-2023 : पाठकीय टिप्पणी


प्रिय संपादक महोदय,

दिनेशपुर, उत्तराखंड, भारत।


नमस्कार!

जैसा कि हम सब जानते हैं कि लघु पत्रिकाएँ हमें जगाती हैं, उकसाती हैं और रचनात्मक दुनिया को भीतर जोड़े रखती हैं। वे हमारी सृजनात्मकता को सींचती हैं। एक अच्छी साहित्यिक पत्रिका हमारी मार्गदर्शिका होती है।


36 वर्षों से साहित्य की दुनिया में "प्रेरणा-अंशु" का आगाज जितना शानदार रहा उतनी ही शानदार इसकी प्रस्तुतियाँ भी हैं। 'फरवरी-2023' अंक अभी हाल ही में प्राप्त हुआ है। आवरण देखकर मन गदगद है और आत्मा आह्लादित। बहुत ही सुंदर व सुव्यवस्थित अंक है। सराहनीय आवरण पृष्ठ है। पूरी पत्रिका में साहित्य और कला का सुंदर समन्वय देखते ही बनता है। इसकी संपादकीय टिप्पणी उत्तम और उच्च कोटि की है। इसके लिए कार्यकारी संपादक व प्रिय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक श्री पलाश विश्वास जी, संयुक्त संपादक श्री रूपेश कुमार सिंह जी, तकनीकी सहयोगकर्त्ता श्री अरुण मिश्र जी एवं संपादक मंडल के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। इस अंक का अनुक्रम अद्भुत है, जो एक पाठक को एक ही बैठक में पढ़ने के लिए मजबूर कर दिया। खैर, मैं तो इसे पीडीएफ फ़ाइल से तीन बार में पढ़ा। पर मेरे दोस्तों ने हार्डकॉपी में पत्रिका को एक ही बार में पढ़ डाला है। पत्रिका सदा की भाँति तथ्यपूर्ण, ज्ञानवर्धक एवं शोधपरक जानकारी से सराबोर है। एक उम्मीद भरे हुए पाठक को इस सोपान से बढ़कर और क्या चाहिए।


मैं 'प्रेरणा-अंशु' का एक बहुत पुराना नियमित पाठक हूँ। मुझे यह अपने प्रत्येक मोर्चे पर एक बेहद समर्पित व सक्रिय पत्रिका लगती है। क्योंकि इसमें मुझे लगातार उत्कृष्ट एवं विविधता भरी रचनाएँ अपने नये अस्वाद व स्वाद के साथ पढ़ने को मिल रही हैं। प्रिय पथप्रदर्शक पलाश जी के संपादन में यह नित्य नवीन दिशा की ओर आगे बढ़ रही है। कहते हैं कि जब काबिल लोग ऐसी जिम्मेदारी लेते हैं, तो किस तरह से कला, विचारों, ज्ञान, संतुलन, विविधता को ऊँचाई प्रदान करते हैं, इसी का एक उदाहरण है प्रिय पलाश  जी का यह प्रयास। उनके भीतर छिपे कुशल संपादक की प्रतिभा अंक में यत्र, तत्र व सर्वत्र देखने को मिलती है। आपकी पत्रिका सम्पूर्ण हिंदी साहित्य विधा को समेटे हुए होती है, यह पाठकों के लिए सुखद है।


इस अंक में मेरी (गोलेन्द्र पटेल) रचनाओं को जगह देने के लिए आपका हार्दिक आभार और अनंत शुभकामनायें। पत्रिका के अन्य बिन्दुओं पर बात करने से पहले एक सुझाव है कि रचनाओं के शीर्षक और उपशीर्षक (टैग लाइन) पर विशेष ध्यान दें तो बेहतर रहेगा और आप आलोचनापरक लेखों पर भी कुछ ध्यान दें। जैसे इस अंक में मेरी ही रचनाओं के शीर्षक गायब हैं। इस अंक में मुझे कई नये नाम मिले हैं, जिनकी रचनाएँ पढ़ने के बाद उनसे बातें करने का मन है लेकिन इसमें उनके संपर्क सूत्र नहीं दिये हैं। कम से कम रचनाकारों का मोबाइल नंबर रहता तो अच्छा होता, यदि आप एक-दो पंक्तियों में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय देंगे, तो नये पाठकों को पत्रिका और प्रभावित करेगी।  


यह अंक साहित्य और सामाजिक सरोकारों से लवरेज है, जो एक बहुआयामी पत्रिका की पहचान दिलाती है। स्तरीय रचनाओं का होना आपकी संपादकीय परिपक्वता को दर्शाती है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पत्रिका का भविष्य संपादक की दूरदर्शिता पर निर्भर करता है। आपकी संपादकीय टिप्पणी सच में ही आत्मीयता लिए हुए होती है। ख़ास कर "युवाओं के लिए अग्निपथ" या "अपनी बात" जैसा स्तंभ। आपका अथक प्रयास सराहनीय है। आपकी पत्रिका इसी तरह आधुनिक चेतना एवं ज्ञान-विज्ञान तथा साहित्य व संस्कृति की उन्नायिका रहे, यह आपकी जिम्मेदारी भी है।


निःसंदेह यह अंक पठनीय और संग्रहणीय है। पलाश जी का 'हिमालय को जोशीमठ के आईने में देंखें' लेख एवं अनिता रश्मि जी की कहानी 'सही निर्णय' आदि रचनाएँ आकर्षित करती हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि 'प्रेरणा-अंशु' पत्रिका इसी तरह निकलती रहेगी और हमें पढ़ने को मिलती रहेगी। साहित्य सेवा की यह यात्रा अनवरत जारी रहे यही ईश्वर से प्रार्थना है मेरी। पुनः आदरणीय पलाश जी एवं रूपेश जी को हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनायें!

-गोलेन्द्र पटेल (कवि व लेखक : साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक, छात्र, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी)

संपर्क :

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

पिन कोड : 221009

व्हाट्सएप नं. : 8429249326

ईमेल : corojivi@gmail.com



गोलेन्द्रवाद क्या है? (What is Golendrism?)

  What is Golendrism? गोलेन्द्रवाद क्या है? Golendrism (गोलेन्द्रवाद) मानवतावादी दर्शन है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। यह मानवीय चे...